vinay singh
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त्याग -बलिदान है जिसको भाता |
ममता की मूर्ति होती अपनी माता ||
हम सब के प्रति पूर्ण समर्पण |
करती अपने जीवन का हर क्षण ||
भूख भूल अपनी ,करती पोषण -भरण |
जाये चाहे प्राण ,पूर्ण करे हर प्रण ||
माँ से है नहीं बड़ा विधाता |
ममता की ………………..
तेरे लहू से बनी है अपनी काया |
मेरे हर आंसू पर तूने दूना अश्रु बहाया ||
अनजाने में यदि दिल कभी दुखाया |
किया क्षमा तुने ,है महान तेरी माया ||
तुझसे रहे जन्म -जन्मो का नाता |
ममता की …………………………..
शिक्षा जो दी थी बचपन में |
विद्यमान अब तक मन उपवन में |
न आयेगी कमी ,कभी सत्य बचन में |
जब तक है सांसे ,तेरे दिए जीवन ||
सदा रखना माँ अपने आशीर्वाद का छाता |
ममता की मूर्ति होती अपनी माता ||
सप्रेम ..विनय सिंह
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